बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 जून 2016 को लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन का शुभारम्भ किया। आम लोगों की शिकायतों के निवारण की सुदृढ़ कार्य प्रणाली विकसित करने तथा एक निश्चित समय सीमा के अंदर परिवाद के निष्पादन हेतु दिनांक 05 जून 2016 से बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लागू किया गया। परिवाद अनुमंडलीय अथवा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय स्थित कॉउन्टर या एकीकृत शिकायत प्राप्ति केन्द्र पर प्राप्त कराये जा सकते हैं।
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2016 की विशेषताएं:
- लोक शिकायत निवारण अधिकार नियमावली (आरटीपीजीआर), 2016 आम लोगों को प्रशासन से सीधे जोड़ने या जन केंद्रित प्रशासनिक तंत्र स्थापित करने की पहल है। इसके अंतर्गत आम लोगों को निर्धारित समयसीमा में जन सुविधा, जन सरोकार या किसी सेवा के नहीं मिलने या समय पर नहीं मिलने से संबंधित शिकायत कर सकते हैं। कानून आवेदनों की गैर-अनुपालन में सख्त प्रावधान है।
- कानून के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया जायेगा या 500 रुपए से 5000 रुपए तक दंड लगाया जा सकता है।
- राज्य सरकार के सभी 42 विभागों को नए अधिनियम के तहत कवर किया जाएगा।
- इस अधिनयिम के तहत चार प्रकार की शिकायतों को प्राप्त नहीं किया जायेगा, इसमें न्यायालय में लंबित मामले, सूचना के अधिकार कानून, लोक सूचनाअों के अधिकार अधिनियम के मामले और सरकारी सेवकों के सेवा से संबंधित मामले।
- सरकार ने प्रत्येक विभाग के साथ-साथ पहले और दूसरे अपीलीय अधिकारियों में एक शिकायत निवारण अधिकारी भी है।
- जिन शिकायतों का समाधान नहीं होगा, उससे संबंधित लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को लिखित देना होगा. यदि संबंधित व्यक्ति उस फैसले से संतुष्ट नहीं होगा तो वह अपील में जायेगा।
- इस अधिनयिम के तहत चार प्रकार की शिकायतों को प्राप्त नहीं किया जायेगा. इसमें न्यायालय में लंबित मामले, सूचना के अधिकार कानून, लोक सूचनाओ के अधिकार अधिनियम के मामले और सरकारी सेवकों के सेवा से संबंधित मामले के तहत विचार नहीं किया जाएगा।